
देश में कई ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला होता है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में विपक्ष को इन सीटों पर भाजपा से शिकस्त मिली है। इस बार कांग्रेस गठबंधन की कोशिश है कि मुकाबला भले ही सीधा हो लेकिन प्रत्याशी को सभी सहयोगी दलों का पूरा सहयोग मिले। प्रत्याशियों के चयन में भी ऐसी रणनीति अपनाई जा रही है जिससे सीधे मुकाबले वाली सीटों पर चुनाव एकतरफा होने से रोका जाए।
विपक्षी दलों का मानना है कि भाजपा को सीधी टक्कर का लाभ केवल मतों के ध्रुवीकरण से मिलता है। इसलिए बार-बार सत्ता पक्ष द्वारा ऐसे मुद्दे उछाले जा रहे हैं जिससे मुकाबला दो ध्रुवीय हो जाए। विपक्ष मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप से बचने के लिए जनता से जुड़े मुद्दे उठा रहा है, भाजपा की खामियों को उजागर करने के साथ ही अपनी गारंटी को मोदी की गारंटी के मुकाबले पेश कर रहा है। हर वर्ग के लिए लुभावने वादे किए जा रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि इन सीटों पर उम्मीदवारों का चयन के साथ ही कई मुद्दों का ‘कॉकटेल’ पार्टियों की उम्मीदों को भी घटाएगा-बढ़ाएगा। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस यूपी में समाजवादी पार्टी, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, बिहार में आरजेडी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ मिलकर मुकाबला कर रही है। गठबंधन के बावजूद कई राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होनी है।