
हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम समेत विभिन्न विभागों ने शुरू किया अवैध घरों का सर्वे
उत्तराखंड (देहरादून)2 मई 2024: देहरादून नगर निगम क्षेत्र में बस्तियों में साल 2016 के बाद बने अवैध घरों के खिलाफ कार्रवाई होगी। इससे पहले सभी अवैध घरों को नोटिस भेज जाएंगे।नगर निगम समेत अन्य विभागों की टीमों ने साल 2016 के बाद बने अवैध मकानों को लेकर सर्वे शुरू कर दिया है।
हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम,सिंचाई विभाग, ऊर्जा निगम और जल संस्थान की टीमों ने बस्तियों में साल 2016 के बाद बने अवैध घरों के खिलाफ कारवाई करने के लिए सर्वे शुरू कर दिया है सर्वे के लिए पांच टीमे लगायी गई हैं । सर्वे की शुरूआत रिस्पना नदी से शुरू की हुई है। बता दे कि रिस्पना नदी में तमाम बस्तियां हैं।अनुमान है कि साल 2016 के बाद बस्तियों में काफी संख्या में इजाफा हुआ है।
साल 2016 के बाद बने घरों की पुष्टि करने के लिए बिजली और पानी का बिल आधार है। नगर निगम की टीम बस्तियों में जा रही है और लोगों से पानी और बिजली का बिल मांग रही है। साल 2016 के बाद का पानी और बिजली का बिल होने पर उक्त घर चिहिन्त कर दिया जा रहा है।इस काम में ऊर्जा निगम और जल संस्थान के साथ ही सिचाई विभाग की टीम भी काम में जुटी है । विरोध के वलते सर्वे बडे गुपचुप तरीके से किया जा रहा है । कर्मचारी किसी और चीज का बहाना देकर पूछ्ताछ कर रहे हैं।तत्कालीन हरीश रावत सरकार में बस्तियों के नियमिती करण को मालिकाना नीति बनी थी। लेकिन फिर कुछ महीने बाद चुनाव होने के बाद सरकार बदल गई इस वजह से नियमितीकरण का मामला अधर में लटक गया । ऐसे में साल 2018 में हाई कोर्ट ने शहर की सभी अवैघ बस्तियों को खाली कराने के आदेश दिए ।जिसके चलते नगर निगम ने हजारों लोगों को नोटिस भेजने शुरू कर दिए। उस वक्त नगर निगम चुनाव की प्रकि्या चल रही थी। तत्कालीन सरकार ने बस्तियों को ब्चाने के लिए तीन साल का अध्यादेश लेकर आ गई। तब से अध्यादेश चल रहा है। वहीं 2016 में बनी मालिकाना हक नीति के चलते जीओ हुआ। जिसमें बस्तिया चिहिन्त कर नियमित करने की बात थी। वहीं इस जीओ में ये बात नहीं थी कि इसके बाद के निर्माण भी वैध होगे।इसलिए साल 2018 में हुआ अध्यादेश 2016 तक के बने मकानों तक ही लागू रहा।और अन्य जगहों पर हुए अवैध निर्माण को लेकर सर्वे शुरू कर दिया है। रिस्पना नदी में सर्वे पूरा करने के बाद बिंदाल नदी क्षेत्र में सर्वे होगा। एक सप्ताह में सर्वे पूरा करना है। इसके बाद संबंधित लोगों को कार्रवाई करने के संबंध में नोटिस भेजे जाएंगे। क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश है और सर्वें बाधित करने या कारवाई में अड़चन पैदा करने पर निय-मानुसार कार्रवाई को जाएगी।