
उत्तराखंड (देहरादून) 12 जुलाई 2024: जिले के सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में पिछले छह महीने में 26,853 लोगों के बलगम की जांच की गई। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि टीबी के मरीज अधिक मिल रहे हैं, इसकी वजह यह है कि हम टीबी के मरीज खोज रहे हैं।
टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए जिले में टीबी मरीजों की खोज अब तेजी से शुरू हो गई है। इसके लिए अस्पतालों में टीबी मरीजों की जांच बढ़ाई जा रही है। टीबी अन्य मरीजों में न फैले इसके लिए टीबी मरीजों को प्राथमिकता से इलाज दिया जा रहा है। पिछले छह महीने की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में हर महीने 1000 से अधिक टीबी के नए मरीज मिल रहे हैं।
सरकार की ओर से हर साल जिले में टीबी के करीब 8500 मरीज खोजने का लक्ष्य रखा जाता है। इस साल की बात करें तो पिछले छह महीने (जनवरी से जून तक) में जिले में टीबी के 6,517 मरीज मिले हैं। इसमें 4,834 मरीज पल्मोनरी और 1,683 मरीज एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के हैं।
पिछले छह महीने में 26,853 लोगों के बलगम की जांच की गई
आंकड़ों के मुताबिक हर माह औसतन 1086 टीबी मरीज मिल रहे हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में पिछले छह महीने में 26,853 लोगों के बलगम की जांच की गई। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि टीबी के मरीज अधिक मिल रहे हैं, इसकी वजह यह है कि हम टीबी के मरीज खोज रहे हैं।
कुछ मरीज इलाज और जांच के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पाते, कुछ लोग झोलाछाप डॉक्टर के पास चले जाते हैं और कुछ लोग शर्म की वजह से नहीं बताते हैं कि उन्हें टीबी हुई है। टीबी मरीजों की खोज करने के लिए हम लगातार जागरूकता अभियान चलाते हैं। टीबी की जांच के लिए कैंप लगाते हैं। टीबी मरीज अधिक मिलेंगे तो टीबी मुक्त भारत भी जल्द बन सकेगा।
दून अस्पताल में भी बढ़ाई जा रही जांच
दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल के एमएस व टीबी एंड चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल में टीबी की जांच बढ़ा दी गई है। अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की भी टीबी जांच की जा रही है। दून अस्पताल के बाल रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव मुखीजा ने बताया कि पल्मोनरी टीबी यानी फेफड़े की टीबी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी में आंत की टीबी, दिमाग की टीबी, पेट की टीबी, किडनी की टीबी, गांठ की टीबी आदि शामिल होती है।